चाय की चुस्कुराहटों में खिली-खिली सी एक हँसी है
दबी-दबी सी मुस्कुराहटों में दिल की डोर कोने में कहीं फ़ँसी है
चाय की चुस्कुराहटों में खिली-खिली सी एक हँसी है
दबी-दबी सी मुस्कुराहटों में दिल की डोर कोने में कहीं फ़ँसी है
ना जानते हैं हम, ना मानते हो तुम
ना जानते हैं हम, ना मानते हो तुम
शरारतों में कैसी ये नमी है?
आवारा दिल मेरा, सवेरा, अँधेरा, सारे पहरों में ये एक सा लगे
कभी ये गुमशुदा सा, जुदा सा, ख़ुदा सा, सातों रंगों में भी एक सा लगे
आवारा दिल मेरा, सवेरा, अँधेरा, सारे पहरों में ये एक सा लगे
कभी ये गुमशुदा सा, जुदा सा, ख़ुदा सा, सातों रंगों में भी एक सा लगे
चाय की चुस्कुराहटों में खिली-खिली सी एक हँसी है
जुगनुओं से जगमगाते नज़्में कर रहे थे कुछ इशारे
बुलबुलों सी बढ़ रही थीं साँसें, सहमे बैठे नदी के उस किनारे
जुगनुओं से जगमगाते नज़्में कर रहे थे कुछ इशारे
बुलबुलों सी बढ़ रही थीं साँसें, सहमे बैठे नदी के उस किनारे
दीवानगी भी थी, रवानगी भी थी
दीवानगी भी थी, रवानगी भी थी
दोनों एक-दूजे के सहारे
आवारा दिल मेरा, सवेरा, अँधेरा, सारे पहरों में ये एक सा लगे
कभी ये गुमशुदा सा, जुदा सा, ख़ुदा सा, सातों रंगों में भी एक सा लगे
आवारा दिल मेरा, सवेरा, अँधेरा, सारे पहरों में ये एक सा लगे
कभी ये गुमशुदा सा, जुदा सा, ख़ुदा सा, सातों रंगों में भी एक सा लगे
चाय की चुस्कुराहटों में खिली-खिली सी एक हँसी है