I spend a lot of time thinking, and
I’d come to realise that, I’m…
I’m just not good for you
तू फ़िर से पास आ, मैं ज़िद नहीं करूँगा
तू फ़िर से दूर जा, मैं कुछ नहीं कहूँगा
जो तेरे जाने से मैं बैठा हूँ मैख़ाने में
मैं खा चुका हूँ धोका, पीने से नहीं मरूँगा
जो तुझसे सीखा हूँ, तुझी पे तो लिखूँगा
जो तुझको चाहूँगा, तुझी पे तो मिटूँगा
जो हँस के आऊँगा मैं फ़िर से तेरे सामने
हूँ ना-पसंद, बता दियो, मैं फ़िर नहीं दिखूँगा
मैंने देखा, तुझमें सादगी रही नहीं
मैंने देखा, तूने कोशिशें बहुत करी
कहे जो, तुझको अपने हाथों से सजा दूँ
है कमी, तू पहने बहुत
फ़िर भी लगता क्यूँ सजी नहीं?
आज भी ऐसे देखे मैंने दायरे नहीं
कि तुझसे बाँट लूँ मैं खुद को
कह दूँ, “आ रहे नहीं हैं तुमसे मिलने”
बेवफ़ा ही थे, जो हँस के कह दिया
कि हम भी धोके खा रहे नहीं
जो फ़िर से देखा, मेरी रुक चली कलम थी
दिल धड़कता, आँखें भीगीं, बातें तंग थीं
जो तुझको सोचा, मेरा पूरा एक जनम थी
जब तुझको देखा, किसी और की सनम थी
दिल तो दुखता है, पर जीना पड़ता ही है
सूरज से चाँद भी अकेले लड़ता ही है
मैं कितना भूलूँ, क़िस्सा तेरा अड़ता ही है
जो कर दें फ़ासला तो प्यार बढ़ता ही है
गाने तो चल रहे, पर बातें तेरी-मेरी है
चिराग़ बुझ गए, पर तेरी-मेरी है
हुआ वो एक ना जो सात जनम का वादा था
तो इस सदी में, जानाँ, क्या औक़ात तेरी-मेरी है?
माना मैं सब ही कुछ जीता, कुछ भी हारा ना
पर जिसको हारा उसको देखा फ़िर दोबारा ना
जो धस गया हूँ जा के रेत में मैं आँखों तक
तू है समुंदर, मुझपे बूँद का सहारा ना
ना मुझसे पूछ मेरे हाल क्या सितारों का
ना दम तू खा ये आ के नोटों की दीवारों का
है पैसा क्या, तू छोटी बातें ना किया कर
मैं बस प्यार से ग़रीब, मुझको मोल ना हज़ारों का
जो मुझसे पूछ ले तू रास्ता बहारों का
तो हँस के कह दूँ तू नज़ारा मेरी आँखों का
मैं जिसको कोसने चला हूँ उसका नाम याद
फ़िर भी लिख ना पाना दोष काम है गँवारों का
जो तुझको देखा, आसमाँ में चाँद था नहीं
कहीं पे छुप गया कि कहता लगता नहीं
इससे हसीन मैंने देखा कही कुछ
कि लोग यूँ ही लिखते रहते मुझपे
ऐ ख़ुदा, मैं चाँद नहीं
ये तेरे रेशमी जो बाल जाल-साज़ी है
मरा नहीं, पर जीते-जी तू मेरी फाँसी है
दबा नहीं गला, क्यूँ साँस मेरी घुट रही?
मैं क्या ही दूँ सज़ा, जा तेरी हर सज़ा ही माफ़ी है
मुझे ख़बर नहीं तू किस ज़ुबाँ में राज़ी है
दिखे असर नहीं, तू किस दुआ में बाक़ी है?
अगर कभी मैं तेरे सामने से गुज़रूँ
मुझको मिल तू या नहीं, पर तेरी एक नज़र ही काफ़ी है
एकतरफ़ा मैं नाम भी बना लूँगा
एकतरफ़ा मैं नाम भी छुपा लूँगा
एक अरसा जो बीते तेरी यादों में
मैं होके मशहूर तुझपे ज़िंदगी लुटा दूँगा