बात है उस समय की जब मजनूँ था कुछ दीवाना
लैला की गलियों से था उसका आना-जाना, हाँ-हाँ
बात है उस समय की जब मजनूँ था कुछ दीवाना
लैला की गलियों से था उसका आना-जाना
रातें उसकी रंगीं थीं, और हर दिन था सुहाना
वो सबसे कहता रहता, “मुझे लैला का हो जाना”
पर लैला, ओ, लैला, तू सामने क्यूँ ना आए?
लैला, ओ, लैला, क्यूँ मुझको यूँ सताए, लैला?
लैला बोली, “मजनूँ हाय, क्यूँ तू यहाँ पे आए?
रातों को गाने गाए और लोगों को सताए
मुझको तो ना भाता है तेरा यहाँ पे आना
तूने सब कुछ खो देना, तूने कुछ नहीं है पाना”
पर लैला, ओ, लैला, तू सामने क्यूँ ना आए?
लैला, ओ, लैला, क्यूँ मुझको यूँ सताए?
लैला, ओ, लैला, तू सामने क्यूँ ना आए?
लैला, ओ, लैला, क्यूँ मुझको यूँ सताए, लैला?
लैला, ओ, लैला, तू सामने क्यूँ ना आए?
लैला, ओ, लैला, क्यूँ मुझको यूँ सताए?
Whoa-oh-oh
लैला, ओ, लैला, तू सामने क्यूँ ना आए?
लैला, ओ, लैला, क्यूँ मुझको यूँ सताए?
लैला, लैला, तू सामने क्यूँ ना आए?
लैला, ओ, लैला, क्यूँ मुझको यूँ सताए?
लैला, लैला, लैला, लैला
तू सामने क्यूँ ना आए?
लैला, ओ, लैला, ओ, लैला, ओ, लैला
क्यूँ मुझको यूँ सताए, लैला?