कैसे समझेगी ये दुनिया फिर मुझे?
लिखता काग़ज़ों पे जो, लिख रहा बादलों पे मैं
कैसे समझेगी ये दुनिया फिर मुझे?
आज भी माहिरों मे से, तंग इन आदतों से मैं
सफ़र ये सिफ़र से
करोड़ों में अब ख़र्चे, यारों पे कटें पर्चे
बातें हैं पहेली, गुज़रेंगी तेरे सर से
लोगों की अब आँखों से ही आदतों को पढ़ते
पैसा मेरी तलाश में, बदले मैंने हालात ये
वो जलें मेरी याद में, तभी बढ़ें ये फ़ासले
वज़न मेरी हर बात में, नशे से अब तो पाक थे
वो भागें मेरे पीछे, क्या ये क़िस्मत लिखी हाथ से
दबा रही मुझे ये ज़िम्मेदारियाँ
चला रही मुझे मेरी ये यारियाँ
ख़ुदा ने मुझे मेहनत का सिला दिया
लोगों के लिए खड़ा हूँ, ख़ुद को मैंने क्या दिया?
सारी रात बैठा सोचता रहा, सर अपना नोचता रहा
कंधे पे ये बोझ सारा, दिलों में है ख़ौफ़ भरा
“कैसे हो रहा है गुज़ारा लोगों का?” कभी तो सोच ज़रा
मुझे सड़कों पे ढूँढ नहीं, मैं इन बारिशों का बूँद नहीं
काश होता मैं मशहूर नहीं, इज़्ज़त बड़ी, पर सुकून नहीं
अलग मैं इन सारों से, करता बातें अब तारों से
क्या ही सँभालोगे, मेरे दिल का हाल भला तुम क्या जानोगे
कैसे समझेगी ये दुनिया फिर मुझे?
लिखता काग़ज़ों पे जो, लिख रहा बादलों पे मैं
कैसे समझेगी ये दुनिया फिर मुझे?
आज भी माहिरों मे से, तंग इन आदतों से मैं
क्या सुनाऊँ मैं कहानियाँ, क्या दिखाऊँ अब आसानियाँ
रस्ता तो दिखा दिया, मुझे बदले में क्या दिया?
सब ढूँढें मुझमें ख़ामियाँ, फिर भी चलना सिखा दिया
लोग मुश्किलों से भागते रहे
किए सबके ख़्वाब पूरे, ख़ुद तो रातें जागते रहे
कभी इन बातों पे ध्यान तो दे
मेरे लफ़्ज़ मेरे सात सुर हैं, यही मेरा साथ दे रहे
आशिक़ी के चेहरे मुख़्तलिफ़, कला पुकारती है
वक़्त की क़दर है, बे-सबब अना बिगाड़ती है
दरिया तो आग के भी पार किए
क्या करें फ़रक़ लोगों में, दुनिया को मिसाल दी है
Now they wanna look like me
Wanna flow like me, do a hook like me
लहरें ये मेरी सीधा Karachi से Cali’
हाथों-हाथ गाने ready, आसमानों में हों daily
उर्दू rap की हम Face-ID
लिखने से पहले अपनी fees आएगी
When I pull up in a club, I don’t need ID
तेरी क़ीमत से ज़्यादा की मेरी weed आएगी
बे-अदब सही तो कभी बद-अख़्लाक़ भी
बे-क़दर कभी और कभी निगहबान भी
Rap मेरा art, जानाँ, यही मेरी heartbeat
यही मेरा घर, यही मेरी जायदाद भी
कैसे समझेगी ये दुनिया फिर मुझे?
लिखता काग़ज़ों पे जो, लिख रहा बादलों पे मैं
कैसे समझेगी ये दुनिया फिर मुझे?
आज भी माहिरों मे से, तंग इन आदतों से मैं