Humse Khafa
Kyun khamosh ho? Kuch toh kaho
Yoon naraz toh tum na raho
Dekho, hai humse khafa tinka-tinka
Qaynaat ka, qaynaat ka
Kyun khamosh ho? Kuch toh kaho
Yoon naraz toh tum na raho
Mere uljhanein hoke bezuban
Dhoondhein kinara
Sulajhte nahi, yeh hain zid pe
Guzarishein na mana guroor tera
Dekho, hai humse khafa tinka-tinka
Qaynaat ka, qaynaat ka
Ho raazi bhi tu toh kya faida?
Yeh doori bey-inteha
Hai mumkin agar sawaal toh kya?
Majboor bhi hai yahaan jawab tera
Dekho, hai humse khafa tinka-tinka
Qaynaat ka, qaynaat ka
Kyun khoye se ho? Kuch toh kaho
Aise gumsum toh tum na raho
क्यूँ ख़ामोश हो? कुछ तो कहो
यूँ नाराज़ तो तुम ना रहो
देखो, है हमसे ख़फ़ा तिनका-तिनका
काएनात का, काएनात का
क्यूँ ख़ामोश हो? कुछ तो कहो
यूँ नाराज़ तो तुम ना रहो
मेरे उलझनें होके बेज़ुबाँ ढूँढें किनारा
सुलझते नहीं, ये हैं ज़िद पे
गुज़ारिशें ना मना ग़ुरूर तेरा
देखो, है हमसे ख़फ़ा तिनका-तिनका
काएनात का, काएनात का
हो राज़ी भी तू तो क्या फ़ायदा?
ये दूरी बे-इंतहा
है मुमकिन अगर सवाल तो क्या?
मजबूर भी है यहाँ जवाब तेरा
देखो, है हमसे ख़फ़ा तिनका-तिनका
काएनात का, काएनात का
क्यूँ खोए से हो? कुछ तो कहो
ऐसे गुमसुम तो तुम ना रहो